Blog: Pagla Masiha पगला मसीहा
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 Dr. Rukm Tripathi
साधुवाद उनको देते हम, जो हैं ऐसे चैनल वाले।उनको बेनकाब करते हैं, करते हैं जो धंधे काले॥ स्टिंग आपरेशन करके वे, बिना खौफ सब कुछ दिखलाते। बड़े बने जो इज्जतवाले, उनका असली रूप बताते॥ऐसा होता रहा अगर जो, तो अपराधी नहीं बचेंगे।गुप्त कैमरे छिपा कर उनको, जहां छिप... Read more |

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5:59am 5 May 2014 #
 Dr. Rukm Tripathi
गठबंधन की सरकारों में, होती जम कर सौदेबाजी।पद भी लें, रुपये भी ऐंठें, तभी साथ देते कुछ पाजी॥ इस पर भी उनके नखरों को, मजबूरन ही सहना होता। गर सरकार बचानी हो तो, 'हां'में 'हां'करना ही होता॥दल बदलू कानून बना जो, उसकी देखें छीछालेदर।सुबह-शाम दल बदले जाते, कुछ होता न... Read more |

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5:56am 5 May 2014 #
 Dr. Rukm Tripathi
कहानी डॉ. रुक्म त्रिपाठी सुबह-सुबह एक मनहूस खबर से सारा कस्बा सन्न रह गया। जिस वैद्य ने डायरिया के सैकड़ों रोगियों की जान बचायी, वह उसी की चपेट में कस्बे के बाहर सरकारी अस्पताल में पड़ा छटपटा रहा है। चोटे वैद्य चंद्रप्रकाश दुबे, जिनकी बदौलत क... Read more |

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3:15am 30 Dec 2013 #
 Dr. Rukm Tripathi
-डॉ. रुक्म त्रिपाठीमृग मरीचिका जल सदृश,लहर-लहर लहराय।हरिण भागता ही रहे,किंतु बूंद नहिं पाय।।पशु, पक्षी व्याकुल फिरें,नही जलाशय पास।चहुंदिशि सूखा ही दिखे,कैसे बुझेगी प्यास।।सिंह और मृग खोजते,मिल कर शीतल छांव।ऐसे संकट के समय,उनमें नहीं दुराव।।सूखी जीभ निकाल कर,लक-लक क... Read more |

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7:05am 19 May 2013 #
 Dr. Rukm Tripathi
जब जब निर्वाचन होते हैं, प्रत्याशी निरीह बन जाते।याचक बन कर वोट मांगते, फिर दर्शन दुर्लभ हो जाते॥पांच साल में एक बार वे, हाथ जोड़ कर बनें भिखारी।तब ऐसा वे ढोंग रचाते, जब मति मारी जाय हमारी॥सबसे बड़ी भूल यह होती, हम उनको पहचान न पाते।उनका हाव भाव लख कर के, महा मूर्ख उल्लू ... Read more |

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5:45am 17 May 2013 #
 Dr. Rukm Tripathi
पहले नहीं हुआ करती थी, जैसी राजनीति अब होती।घृणित आचरण के चलते वह, दिन-दिन निज मर्यादा खोती॥पहले सभ्य, शिष्ट होते थे, राजनीति वाले मतवाले।अब बहु बाहुबली घुस आए, जिनकी अपनी होती चालें॥जब भी निर्वाचन होते हैं, सब से अधिक टिकट वे पाते।भय से, छल से, निज दल को हैं जो जय दिलवात... Read more |

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6:33am 24 Apr 2013 #
 Dr. Rukm Tripathi
(v)×¢˜æè- ÂÎ ÂÚU Áô ·¤Öè, ÕñÆU ÁæØ §·¤ ÕæÚU ÐçȤÚU ßãU ©Uâ ÂÚU ¿æãUÌæ, ×õM¤âè ¥çÏ·¤æÚUH ×õM¤âè ¥çÏ·¤æÚU, âæÚU ãU×Ùð ØãU ÂæØæÐ ÖêÜ ÁæØ çâhæ¢Ì , Á·¤Ç¸U Üð ÂÎ ·¤è ×æØæ H·¤ãñU L¤€× ·¤çßÚUæØ, ÖÜð ãUô ¿æãðU ⢘æèÐâÕ ÒÂÎÓ ×ð´ ãñ´U çÜŒÌ , Õß¿èü ãUô Øæ ×¢˜æèH (w)·é¤âèü ·¤è ×çãU׿ ¥ç×Ì, ÕÚUçÙ Ù Üæ»ð ÂæÚU Ðç·¤ÌÙð ÆUô·¤ÚU ¹æ ç»ÚðU, ç·¤ÌÙð ãUô´ ¥âßæÚU H ç·¤ÌÙð ã... Read more |

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6:13am 16 Mar 2013 #
 Dr. Rukm Tripathi
चमड़ी चली गयी , मगर दमड़ी नहीं गयी।ये बेशरम हैं, इनको मत दाद दीजिए ॥जो हुस्न पूजते हैं, होते हैं इंटेलिजेंट।ऐसों को अपने पास ही, आबाद कीजिए॥नाजुक मिजाज वालों से होती बहुत गलती।दुतकारिए न इनको, मधुर प्यार दीजिए ॥गर हुस्न के गरूर से, उनके चढ़े तेवर।माथा झुका कर , कीमती उप... Read more |

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10:05am 13 Mar 2013 #
 Dr. Rukm Tripathi
निर्भय हो चाहे जो करता,ऐसा पाकिस्तान।लगता बहुत-बहुत भय खाता, अपना हिंदुस्तान॥भारत के सैनिक का सिर जब, काटा पाकिस्तानी।लगा हमारे आकाओं को, नहीं हुई हैरानी ॥संजय या इंदिरा जी होतीं, नहीं इसे सह पातीं।दुश्मन की छाती पर चढ़ कर, अच्छा पाठ पढ़ातीं॥पता नहीं इससे भी अप्रिय... Read more |

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9:09am 31 Jan 2013 #
 Dr. Rukm Tripathi
चकल्लस आजादीपाकिस्तानी सरहद में घुस, हत्या किये हजार।भारत इसका बदला ना ले, और जताता प्यार ।।राजनीति में आ बैठे हैं कितने भ्रष्टाचारी।घूसखोर, हत्यारे दागी, अगणित व्यभिचारी।।मनमानी जब कमा रहे हैं, जमाखोर व्यापारी।अन्न सैक़ड़ों टन सड़ जा... Read more |

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11:57am 25 Jan 2013 #
 Dr. Rukm Tripathi
यदि प्रधानमंत्री बन जाते, अपने वीर सुभाष ।तो जनता की पूरन होती, मन चाही सब आश।। इतना भ्रष्टाचार न होता, ना होता व्यभिचार। न गरीब भूखा मर पाता, महंगाई से हार ।।पाकिस्तान शत्रु बन करके, लुक छिप कर जो मारे।कब का सबक सिखा देते, करके वारे न्यारे ।। दुर्घटना में नही... Read more |

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1:08pm 23 Jan 2013 #
 Dr. Rukm Tripathi
कर दिया परायाचौथेपन में जीवनसाथी, यदि हठात् ही छोड़े साथ।ऐसा अंधकार छा जाता,राह न सूझे, हुए अनाथ॥सभी जानते , जब जाना हो, कोई संग न आता ।सब कुछ यहीं छूट जाता है, जैसा भी हो नाता ॥ सब सद्ग्रंथ यही कहते हैं, कुछ ऐसी करनी कर जाओ। अंतकाल जब जाओ जग से, कष्ट न भोगो स... Read more |

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11:25am 21 Jan 2013 #
 Dr. Rukm Tripathi
साथी पहली बार जिसे पकड़ा था,वह था मेरा हाथ।और कहा था , सारा जीवन,रहना हमको साथ।।अगणित कष्ट झेल कर तुमने,हर क्षण साथ निभाया।मुझे कष्ट हो तुम सह लेती,ऐसा कभी न पाया।रही प्रेरणा जीवन भर तुम,तभी आज लिख पाता।वरना पहले छंद काव्य से,नहीं रहा था नाता।।तुम वसंत बन कर आयीं,आंधी ब... Read more |

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2:34pm 16 Jan 2013 #
 Dr. Rukm Tripathi
वरिष्ठ पत्रकार-साहित्यकार डॉ. रुक्म त्रिपाठी के उद्गार-राजेश त्रिपाठीकोलकाता : पिछले दिनों यहां भारतीय भाषा परिषद के सभागार में हिंदी पत्रकारिता के 186 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में स्थानीय हिंदी दैनिक ‘छपते छपते’ के तत्वावधान में ‘हिंदी पत्रकारिता की 186 वर्ष की या... Read more |

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6:03am 29 Jun 2012 #
 Dr. Rukm Tripathi
डा. रुक्म त्रिपाठीकुहू कुहू कर कोकिला,गाती फिरती आज।कृपया स्वागत कीजिए,आये श्री ऋतुराज ॥गुन गुन करता बाग में,गाता है मृदु छंद ।अली कली मुख चूम कर,चूस रहा मकरंद ॥विरही भामिन भावती,दूर बसे जा कंत।जाने अब कब मिलन हो,बीत न जाय बसंत ॥कामदेव-रति से लगें,आनंदित दो म... Read more |

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6:53am 10 Feb 2011 #
 Dr. Rukm Tripathi
डा. रुक्म त्रिपाठीप्रसंग पचास के अर्धदशक का है। वैष्णव देवी कटरा स्थित विश्वायतन योगाश्रम से स्वामी कार्तिकेय के शिष्य स्वामी हरि भक्त चैतन्य तथा धीरेंद्र ब्रह्मचारी योग का प्रचार करने कलकत्ता आये थे। उन्होंने रेड रोड के बगल में स्थित मोहम्मडन स्पोर्टिंग क्लब के ... Read more |

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4:48pm 24 Jan 2011 #
 Dr. Rukm Tripathi
वरना ये महाशय उन्हें कचडे के ढेर में फिकवा कर दम लेते-डॉ.रुक्म त्रिपाठीएक पत्रकार और कहानीकार, जिन्हें आप सहज ही पहचान जायेंगे वे आयु में सत्तर पार कर चुके हैं किंतु अपने को नये लेखकों का ‘गॉडफादर’ मानते हैं और उन्हें मंच देने के लिए पुरानी पीढ़ी के रचनाकारों की अपेक्... Read more |

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6:54am 20 Jun 2010 #
 Dr. Rukm Tripathi
सुमुखि, सुलोचनि कामनी,भूल साज शृंगार।रह-रह करवट बदलती,व्याकुल बारंबार।।नहीं सुनाई दे रही,अब कोयल की कूक।लगता वह मूर्च्छित पड़ी,लग जाने से लूक।।धूल बवंडर बन उठे,सूखे कूप-तड़ाग।जलविहीन सरिता दिखे,बिन सिंदूरी मांग।।पथ-डगरें सुनसान सब,सन्नाटा है व्याप।शनः-शनः है बढ़ र... Read more |

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4:42am 13 May 2010 #
 Dr. Rukm Tripathi
मृग मरीचिका जल सदृश,लहर लहर लहराय।हिरण भागता ही फिरे,एक बूंद नहिं पाया।।पशु पक्षी व्याकुल फिरें,नहीं जलाशय पास।चहुं दिशि जब सूखा दिखे,कैसे बुझेगी प्यास ।।आकुल, व्याकुल सिंह, मृग,भूल शत्रुवत भाव।शीतलता की चाह हित,खोज रहे मिल ठांव।।सूखी जीभ निकाल कर,लक-लक करता श्वान।न... Read more |

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4:40am 13 May 2010 #
 Dr. Rukm Tripathi
कहानीडॉ. रुक्म त्रिपाठीजगेसर काका को शहर में देख कर मैं चौंक उठा। सोचा, फौज से छुट्टी मिलने पर गांव जा रहे होंगे। उनके पांव छूते हुए कहा-‘पांव लागूं काका।’काका ने मुड़ कर देखा, ‘अरे नंदन बेटवा! तुम यहां?’‘हां, काका। गांव में मिडिल तक स्कूल है। आगे की पढ़ाई के लिए मामा ने ... Read more |

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5:11am 7 May 2010 #

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12:00am 1 Jan 1970 #
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