 Dr. Amar Jyoti
जनाज़े अपने हिस्से में उधर बारात का मौसमरहेगा कितने दिन इस बेतुकी सी बात का मौसम दिये की एक मद्धम लौ के आगे थरथराता है ये आंधी का ये अंधड़ का ये झंझावात का मौसमजिन्हें मदहोश कर देती हैं सावन की फुहारें वे टपकती छत के नीचे देख लें बरसात का मौसमसुबह कब आयेगी जब आयेगी त... Read more |

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3:46am 30 Sep 2015 #
 Dr. Amar Jyoti
आंख के आकाश पर बदली तो छाई है ज़रूर हो न हो कल फिर किसी की याद आई है ज़रूरउड़ चला जिस पल परिंदा कुछ न बोली चुप रही डाल बूढ़े नीम की पर थरथराई है ज़रूर मयकशों ने तो संभल कर ही रखे अपने क़दम वाइज़ों की चाल अक्सर डगमगाई है ज़रूर लोग मीलों दूर जा कर फूंक आये बस्तिय... Read more |

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5:33am 4 Sep 2012 #
 Dr. Amar Jyoti
उनकी महफ़िल है फ़क़त हंसने हंसाने के लियेकौन जाये दर्द की गाथा सुनाने के लियेजेब में मुस्कान रख कर घूमता है आदमीजब जहां जैसी ज़रूरत हो दिखाने के लियेले गये कमज़र्फ हंस हंस कर वफ़ाओं की सनदहम सरीखे ही बचे हैं आज़माने के लियेगाँव में क्या था कि रुकते खेत घर सब बिक चुके... Read more |

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6:55am 23 Jul 2012 #
 Dr. Amar Jyoti
दर्द आँखों में नहींदर्द आँखों में नहीं दिल में दबाये रखना इस खजाने को ज़माने से छुपाये रखना हमने बोये हैं अंधेरों में सदा धूप के बीजहमको आता है उमीदों को जगाये रखना आज के ख़त ये कबूतर ही तो पहुंचाएंगे कल इन परिंदों को धमाकों से बचाए रखना सारे रिश्तो... Read more |

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3:50pm 2 May 2012 #
 Dr. Amar Jyoti
दर्द आँखों में नहीं दर्द आँखों में नहीं दिल में दबाए रखनाइस ख़ज़ाने को ज़माने से छुपाए रखनाहमने बोये हैं अंधेरों में सदा धूप के बीजहमको आता है उमीदों को जगाए रखनाआज के ख़त ये कबूतर ही तो पहुंचाएंगे कलइन परिंदों को धमाकों से बचाए रखना सारे रिश्तों की हक़ीक़त न पर... Read more |

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5:03am 30 Apr 2012 #
 Dr. Amar Jyoti
दर्द आँखों में नहीं दर्द आँखों में नहीं दिल में दबाए रखनाइस ख़ज़ाने को ज़माने से छुपाए रखनाहमने बोये हैं अंधेरों में सदा धूप के बीजहमको आता है उमीदों को जगाए रखनाआज के ख़त ये कबूतर ही तो ले जायेंगे कलइन परिंदों को धमाकों से बचाए रखना सारे रिश्तों की हक़ीक़त न परखने ल... Read more |

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5:03am 30 Apr 2012 #
 Dr. Amar Jyoti
किसे अजनबी कहें किसे अनजाना मनजब हर शख्स लगे जाना-पहचाना मनपता पूछते हैं भोले बस्ती वालेबंजारों का कैसा ठौर-ठिकाना मन सुख आया दो पल ठहरा फिर लौट गया दुःख ने ही सीखा है साथ निभाना मनजिस मूरत को छुआ वही पत्थर निकलीधीरे-धीरे टूटा भर... Read more |

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4:14am 8 Aug 2011 #
 Dr. Amar Jyoti
कितने दिन दुस्वप्न सरीखे लौट-लौट कर आओगेओ अभिशप्त अतीत भला कब वर्तमान से जाओगेतिरस्कार और उपहासों से हमको तो चुप कर दोगे पर अपने मन की सोचो उसको कैसे बहलाओगे पार उतर कर तुमने अपनी नाव जला तो डाली हैकभी लौटना पड़ा अगर तो सोचो कैसे आओगेबूढ़ी आँखें रास्ता तकते-तकत... Read more |

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8:34am 15 Jan 2011 #
 Dr. Amar Jyoti
जीवन में संबंधों का कुछ अजब विरोधाभास रहाहर घनिष्ठता में शामिल एक दूरी का एहसास रहा कोई पुराना प्यारा चेहरा, कोई पुरानी याद न थीबचपन की गलियों में जाकर भी मन बहुत उदास रहाजनम-जनम का अपना नाता, हम-तुम कभी न बिछड़ेंगेतुम भी यूं ही कहते थे, हमको भी कब विश्वास रहा रामकथा ... Read more |

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5:24am 4 Jan 2011 #
 Dr. Amar Jyoti
दर्द पर अंकुश लगाना है कठिन इन दिनों हंसना-हंसाना है कठिनदूर रहने में कोई उलझन न थीपास आकर दूर जाना है कठिनआंख में आकाश के सपने लियेउम्र पिंजरे में बिताना है कठिनसीप तो सन्तुष्ट है एक बूंद सेप्यास सागर की बुझाना है कठिनदुश्मनों की क्या कहें इस दौर मेंदोस्तों से पार पा... Read more |

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9:01am 26 Nov 2010 #
 Dr. Amar Jyoti
रात की रानी से भीगी सी हवा लाया है कौनचल के देखो तो तुम्हारे द्वार पर आया है कौनगीत हों मधुमास के, या पतझरों की बात होदेखना होगा खिला है कौन, मुरझाया है कौनकिसका पेशा बन गया था बेचना सूरज के स्वप्नसुबह की पहली किरन झरते ही घबराया है कौनछेड़िये चर्चा कभी संघर्ष की, बलिदान ... Read more |

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1:12pm 23 Oct 2010 #
 Dr. Amar Jyoti
जीवन भर पछताए कौन ऐसी लगन लगाए कौनबैद नहीं उपचार नहींफिर ये रोग लगाए कौन तू आयेगा - झूठी बात पर मन को समझाए कौनउस नगरी में सारे सुखउस नगरी में जाए कौनमन ही मन का बैरी है और भला भरमाये कौन ... Read more |

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9:34am 6 Sep 2010 #
 Dr. Amar Jyoti
यों तो सम्बन्ध सहज से ही ज़माने से रहेमन में अकुलाते मगर प्रश्न पुराने से रहेद्वारिका जा के ही मिल आओ अगर मिलना हैअब किशन लौट के गोकुल में तो आने से रहेबावरा बैजू भी शामिल हुआ नौरतनों में और फिर सारी उम्र होश ठिकाने से रहेप्यासे खेतों की पुकारों में असर हो शायदमानसून... Read more |

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2:14am 11 Aug 2010 #
 Dr. Amar Jyoti
गेहूं,चने,ज्वार मेरे तुम काट ले गयेअब मैनें सपने बोये हैं;- क्या कर लोगे ?पण्डित जी, पैलाग, चलो बस रस्ता नापोहोरी अब गोदान नहीं, कुछ और करेगाभेद खुल चुका धरम-करम और पुन्य-पाप काजो करना है –आज,अभी, इस ठौर करेगा।लेखपाल जी, मेरे सारे खेत बिक गयेअब बोलो मेरा कैसे नुकसान करोगे?म... Read more |

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12:32pm 4 Jun 2010 #
 Dr. Amar Jyoti
हों ॠचायें वेद की या आयतें क़ुरआन कीखो गई इन जंगलों में अस्मिता इन्सान कीकैसी तनहाई! मेरे घर महफ़िलें सजती हैं रोज़सूर, तुलसी, मीर,ग़ालिब, जायसी, रसखान कीकितने होटल, मॉल,मल्टीप्लेक्स उग आये यहांकल तलक उगती थीं इन खेतों में फ़सलें धान कीइस कठिन बनवास में मीलों भट... Read more |

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1:09pm 13 May 2010 #
 Dr. Amar Jyoti
बंजरों में बहार कैसे होऐसे मौसम में प्यार कैसे होज़िन्दगी जेठ का महीना हैइसमें रिमझिम फुहार कैसे होकोई वादा कोई उमीद तो होबेसबब इन्तज़ार कैसे होआप बोलें तो फूल झरते हैंआपका ऐतबार कैसे होजिनका सब कुछ इसी किनारे है ये नदी उनसे पार कैसे हो। ... Read more |

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6:12am 18 Apr 2010 #
 Dr. Amar Jyoti
लम्बी-चौड़ी ताने मतहमें बावला जाने मत हमें आज की बात बताकिस्से सुना पुराने मत रोटी का जुगाड़ बतलावेद-पुरान बखाने मत चाकर ही तो है उनकाख़ुद को मालिक माने मत तू भी तो हम जैसा हैआज भले पहचाने मत... Read more |

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5:46am 20 Feb 2010 #
 Dr. Amar Jyoti
अपनी धरती के साथ रहता हूंउसके सब धूप-ताप सहता हूंपूस जैसा कभी ठिठुरता हूंऔर कभी जेठ जैसा दहता हूं सब परिन्दों के साथ उड़ता हूंसारी नदियों के साथ बहता हूं जागता हूं सुबह को सूरज साशाम को खण्डहर सा ढहता हूं इसमें तुम भी हो और ज़माना भीयूं तो मैं अपनी बात कहता हूं... Read more |

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5:02am 9 Feb 2010 #
 Dr. Amar Jyoti
बीन का रागिनी से रिश्ता होसाँस का ज़िन्दगी से रिश्ता होऐसी बस्ती बसाइये जिसमेंसबका सबकी ख़ुशी से रिश्ता होअपनी गिनती है देवताओं मेंकिस लिये आदमी से रिश्ता होये दुमहले गिरें तो अपना भीधूप से, रौशनी से रिश्ता होअब तो राजा हैं द्वारिका के किशनक्यों भला बाँसुरी से रिश्... Read more |

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2:51pm 27 Jan 2010 #

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12:51pm 11 Jan 2010 #
 Dr. Amar Jyoti
रास्ता ही भूल जाओ एक दिनआओ मेरे घर भी आओ एक दिन बासी रोटी से ज़रा आगे बढ़ोउसको टॉफ़ी भी खिलाओ एक दिन क्या मिलेगा ऐसे गुमसुम बैठ कर,साथ मेरे गुनगुनाओ एक दिन बर्फ़ सम्बन्धों की पिघलेगी ज़रूरधूप जैसे मुस्कराओ एक दिन घर के सन्नाटे में गुम हो जाओगेदौड़ती सड़कों पे आओ एक द... Read more |

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6:17am 6 Jan 2010 #
 Dr. Amar Jyoti
चाहता हूं मगर नहीं लगतामेरा घर मेरा घर नहीं लगता जिसके साये में दो घड़ी दम लूंऐसा कोई शजर नहीं लगता अजनबी लोग, अजनबी चेहरेये शहर वो शहर नहीं लगता ये महावर,ये मेंहदियां, ये पाँवतू मेरा हमसफ़र नहीं लगता ये धमाके तो रोज़ होते हैंअब परिन्दों को डर नहीं लगता दिल को लगते हैं... Read more |

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1:06pm 6 Nov 2009 #
 Dr. Amar Jyoti
कब तक धूप चुरायेंगेये बादल छँट जायेंगेआज तुम्हारा दौर सहीअपने दिन भी आयेंगेये परेड के फ़ौजी हैंलड़ने से कतरायेंगेफूल यहीं पर सूखेगापंछी तो उड़ जायेंगेदर्द थमा तो चल देंगेदर्द बढ़ा तो गायेंगे... Read more |

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12:03pm 20 Oct 2009 #
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