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मालवा की संस्कृति और परम्परा के सपूत दादा श्रीनिवासजी जोशी मालवी गद्य के प्रथम साहित्यकार हैं। उन्होंने जीवनपर्यंत शब्द की साधना की। श्रीनिवासजी की स्मृति में प्रतिवर्ष दिया जाने वाला सम्मान इस बार मालवा के इतिहास और पुरातत्व के उद्भट दस्तावेज़कार डॉ. श्यामसुंदर... Read more |
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सबती पेला तो आपके विक्रम संवत का नवा वरस (२०६९) की दिल ती बधई. मालवा की संस्कृति और विरासत में महाराज विक्रमादित्य,महाकवि कालीदास,चम्बल-सिपरा,भृतहरि-पिंगला,रघुनाथ बाबा,डॉ.शिवमंगल सिंह सुमन,डॉ.श्याम परमार,पं.कुमार गंधर्व,पन्नालालजी नायाब ,सिध्देश्वर सेन,आनंदराव दुबे,... Read more |
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एक चिट्ठी अन्नाजी का नाम:अन्ना बा सा. आपये रामलीला पे अनशन करी के सरकार के चेतई दियो हे. लोग पूछी रिया हे कि यो करिश्मो कसतर वई ग्यो. तो वणाने नगे कोनी कि यो देश संताँ का पाछे चाल्यो हे. वेंडा लोग यूँ भी के हे कि अन्ना बा के कोई इनाम/इकराम चैये वेगा.म्हें क्यो बापू अन्ना बा व... Read more |
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जीवन की खुशी की पासबुक:नवा जमाना का दो छोरा छोरी को ब्याव वियो.छोरी की माँ ये बिदई में एक नवा बैंक खाता की पास बुक दी ने हजार रिपया जमा करई दिया. बेटी के ताकीद कई कि या म्हारी आड़ी ती नवा लाड़ा-लाड़ी वाए नेगचार हे. जद भी थाँकी जिन्दगी कोई खुसखबर आवे,जतरा वई सके पईसा जमई करई सको.... Read more |
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मालवा की सरसत माता शालिनी जीजीजणी दन पेम-पट्टी लई के भणवा-लिखवा को पेलो दन वे वणीज दन मालवा की एक बड़ी शख्सियत पद्मश्री शालिनी ताई मोघे बैकुंठ वास सिधारिग्या. सौ कम दो का शालिनीजीजी म्हाणा मालवा का सरसत मात था.कम पईसा लई के अच्छी शिक्षा घर घर में कसतर पोंचे अणी वाते जीजी ... Read more |
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मच्छु चाचा की मोटर:मुकाम : गाँव सैलाना(जिलो:रतलाम) मोटर इश्टैण्ड पे एक म्होटी मोटर ऊबी है. मोटर को माडल पुराना जमानो को डॉज हे. आज जसतर टेम्पो ट्रेवलर आवे हे वतरी मोटी.गाड़ी का मालिक और ड्रायवर हे मच्छु चाचा. दानाबूढ़ा,बच्चा-बच्ची हगरा वणाने मच्छु चाचा के हे.मच्छु चाचा बरा... Read more |
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पेरीन काकी म्हें थाँके साते हाँ:होमी दाजी मजदूराँ वाते जो कर्यो हे ऊ कणी री पावती रो मोहताज कोनी. एक जमानो थो के पं.नेहरू दाजी री बात के तवज्जो देता था. आज दाजी म्हाँका बीच कोनी ने वणाकी जीवन-सखी पेरीन दाजी भण्डारी मिल रा पुल रो नाम दाजी पे वे असी मांग करी री हे. म्हें आखा म... Read more |
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कोरी वाताँ ती कई नीं वेगो:आपका लाड़का पाना नईदुनिया की मिजवानी में अण्णा हजारे का अनसन का बाद आम आदमी के कई करणो चईजे,अणी वाते एक कार्यक्रम को आयोजन रख्यो थो. नरा मनख आया;पण म्हारी जिम्मेदारी कई वई सके अणी को पे म्हारो बेटो कोई नी बोल्यों.हगरा लोग राजनेता-अफ़सर असा हे ; वसा ... Read more |
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हजारे बा तमने आख्याँ खोली दी !यो डोकरो रोटी-पाणी छोड़ी के देस की सरकार के हिलई देगा एसो अदाज तो नी थो.अस्सी का उप्पर जई के असो जोस ! भारी करी हजारे बा.तमारो यो अनसन म्हाँकी आख्याँ खोली ग्यो हे. पिछला हफ़्ता में पान की घुमटी,चौराया,ओटला,चाय का ठिया पे एक कीज नाम चल्यो …अण्णा हज... Read more |
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देश का प्रमुख हिन्दी दैनिक और मालवा का शब्द-प्रहरी नईदुनिया मालवी की बड़ी नेक ख़िदमत कर रहा है.प्रत्येक सोमवार को थोड़ी घणी शीर्षक के स्तंभ में मालवी-निमाड़ी रचनाओं का प्रकाशन नियमित रूप से होता है.थोड़ी-घणी के ज़रिये कई नये लिखने वालों को अपनी बात कहने का मंच मिला है और ख़ास... Read more |
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लोकप्रिय हिन्दी दैनिक नईदुनिया में पिछले दिनों श्री राजेश भण्डारी का लिखा एक लेख प्रकाशित हुआ जिसमें मालवी को राजभाषा बनाए जाने की ठोस दलील दी गई है.मालवी अनुरागियों के लिये यह लेख नईदुनियासे साभार और श्री भण्डारी को इस मुद्दे को उठाने के लिये मालवी-जाजम की ओर से हार... Read more |
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सब हिल-मिलआज खेलो होरीअध-बूढ़ा ने बूढ़ा-आड़ाबण ग्या है छोरा-छोरीगेंद-गुलाबी रूप लजीलीमान करे क्यूं ए गोरीफ़ागण तो रंगरेज हठीलोरंग दियो अंगो और चोलीबिरहण ऊबी पीहर कँवरेमन में भरम भर्यो भोरी(भाव:बिरहन अपने प्रीतम से दूर मायके में हैऔर उसके मन में कई भोली भ्रम भरे हुए हैं)रं... Read more |
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आप सभी को होली की राम-रामलोक पर्वों का मज़ा ग्रामीण अंचलों में कुछ अलग ही रंगत के साथ मौजूद है.जैसी होली मैंने अपने मालवा के गाँवों में देखी है;खेली है वैसी बात अब शहरों में नज़र नहीं आती. मेरी बोली मालवी में राजस्थानी और गुजराती भाषा का वैभव बड़ी मधुरता के साथ आ समाया है .बर... Read more |
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वी दूध रो दूध ने पाणी सो पाणी करे हेवणाती(उनसे) अणी वाते,हगरा(सभी)मनक(मनुष्य)डरे हेगरीब लोगाँरी हालत तो घणी खराब हेवी रोज कूडो(कुँआ)खोदे,रोज पाणी पिये हेगूँगा,बेरा ने चालवाती(चलने से)मोताज झाडका(पेड़)पाणी वना(बिना)हूकी ने (सूख कर)वणा रा पाना झड़े हेदन दाड़की करे,वी बिचारा एक ... Read more |
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बोली की अपनी ख़ूबसूरती है. हालाकि भाषा पंडित बोली सेथोड़े नाराज़ ही रहते हैं . अपने अपने अंचल में बोली का अपना विन्यास,मुहावरे,लहजा और कहन है.मालवी भी इससे अछूती नहीं है. आलम ये है कि इन्दौर, उज्जैन,रतलाम,धारया मंदसौर (तक़रीबन २०० कि.मी के रेडियस में)मालवी अंदाज़ बदल जाता है.रत... Read more |

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2:49pm 30 Apr 2008 #
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जाने माने मालवी लोक-गीत गायक श्री रामअवतार अखण्ड को सन 2008का भेराजी सम्मान दिया जा रहा है। उज्जैन में 18 अप्रैल को आयोजितएक भव्य समारोह में अखंडजी इस सम्मान से नवाज़े जाएंगे।अभी तक इस सम्मान से बालकवि बैरागी,नरहरि पटेल,नरेन्द्रसिंह तोमर,आनन्दरावदुबे,भावसार बा,प्यारेला... Read more |

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2:37pm 17 Apr 2008 #
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मालवी माच में केवल मनोरंजन नहीं है, इसमें लोकरंजन है।मनोरंजन तो केवल मन रंजन करता है और वह केवल मन को रास आता है। मनोरंजन तो बदलता रहता है, व्यक्ति की मानसिक स्थिति के अनुसार और इसीलिए वह अपनी-अपनी रूचि से बनता-बिगड़ता भी है। इसमें केवल आमोद, प्रमोद, विनोद और वैयक्तिक मनो... Read more |

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3:19am 9 Apr 2008 #
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रे मनवा रंग तन रंग मनहोली लाई रंग गुलाल।प्रीत को काजल आँख में आँजोकारा कारा मन ने चॉंदी सा मॉंजोपाताला में गाढ़ी दो मलालहेत को मंदर कितरो बड़ो हैअंदर जीके सांवरो खड़ो हैश्रम के आगे हार्यो कालभूख गरीबी को कीचड़ कारोकई नी है थारो ने कई नी है म्हारोझूठा है सब जंजालएक ऊचो एक न... Read more |

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4:18pm 20 Mar 2008 #
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जमानो नीं बदलेगालुगई रोज रिसावेलाड़ी पाणी नीं बचावेतेंदूलकर रन नीं बनावेछोरो घरे नीं आवेछोरी सासरे नीं जावेमाड़साब सबक नीं करावेटाबरा भणवा नीं जावेनेता झूठी कसम खावेअखबार सॉंच छुपावेहेडसाब थाणा में खावेभई-भई रोज कुटावेबेसुरो नाम कमावेमालवी बोलता नीं आवेजमाना के ... Read more |

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3:18pm 13 Mar 2008 #
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भारत के पश्चिम मध्यप्रदेश में विन्ध्य की तलहटी में जो पठार है उसे कम से कम दो हज़ार वर्षों से मालव (मालवा) कहा जा रहा है। यहॉं के लोग भाषा और पोषाक से कहीं भी पहचान में आते रहे। मौसम की यहॉं सदा कृपा रही है। इसीलिए सदा सुकाल के सुरक्षित क्षेत्र के रूप में इसकी सर्वत्र मान्... Read more |

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11:51am 5 Mar 2008 #
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