 minakshi pant
हर बार कौडियों के भाव बिक जाता है उसका अनाज ...दिन - रात के खूबसूरत सपने पल भर में धाराशाही हो जाते हैं ...उसके कपडे से उठती वो मिटटी की गंधकही जाकर खो जाती है ...वो जीवित होकर भी एक जिन्दा लाशबन जाते हैं ...अपनी मेहनत का सही दाम न मिलानाउनके मंसूबें में पानी फेर देते हैंवो अपने ... Read more |

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4:54pm 10 May 2012 #
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मुस्कान ही हमेशा कुछ नहीं कहती |आवाज से हर बात बयाँ नहीं होती |अहसास आंसूंओं से भी बयाँ होते हैं |उनकी भी अपनी एक जुबाँ होती है |मन को गुदगुदाती खुशी हो ...या हताश के हों पल |आशा की आहट हो या ...फिर आकांशा की हो धमक |भय से डरकर ...या सुख में रमकर ...हृदय की गोद से ...एक बूंद आँखों में आत... Read more |

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1:39pm 2 May 2012 #
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कौन जाने , कब , कहाँ वो राह भूल जाएँ |अपनी उमीदों की शमां को जलाये रखिये |बारिशे तो आती है तूफ़ान गुजर जातें हैं |अपने पाँव को जमीं में जमा कर रखिये |घर की ये बात है निकले न घर से बाहर |आप बस खिड़की दरवाजों को बंद रखिये |बैठे रहे कोहनी टिकाये गाल पर कब तलक |इंतज़ार में दरवाजें की... Read more |

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9:11am 18 Apr 2012 #
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आज फिर तुम्हे सपने में देखा मैंने ...इस बार भी तुम्हे छुने की ख्वाइश सी हुई |आज फिर बहुत मुश्किल से खुद को रोका |इस बीच हवस के सिवा कुछ भी नहीं |कभी मिलो जिस्म से अलग कही मुझे |जहाँ न तुम और न ही मैं रहूँ ...एक दूजे के अहसास का सिर्फ जल तरंग बजे |ये इजहारे और इकरारे वफा अच्छा हो... Read more |

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10:20am 14 Apr 2012 #
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कई राहगीर गुजरे थे उस राह से ...खुले बदन भूख से वो ...कराहता था वहाँकुछ आह भरकर ,कुछ दीन - हिन कहकर आगे भी निकलते थे |पर रूककर हाल पूछने न कोई पास था गया |एक साया बढकर ...पलभर रुका जरुर था |जिसे देख बच्चे की आँखों में एक सपना था सजा ...सोचा चलो आज उसे अपनी भूख को जाहिर करने का जरिय... Read more |

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8:33am 20 Mar 2012 #
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बस छोटी सी एक इल्तजा है तुमसे ...कुछ देर पंछी बन...उड़ने की मोहलत मुझे दे दो |कभी चाँद में छुप जाऊ |कभी बादल में समा जाऊ |बस छोटी सी ये ख्वाइशपूरी मेरी कर दो |जो मैं रच दूँ कोई सरगमतो बेहिचक गीत रचने का होंसला मुझे दे दो |तपती रेत में जब जलने लगे पैर मेरे ...तो निरंतर बढते रहने क... Read more |

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8:47am 18 Mar 2012 #
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बादलों में आज फिर एक शोर हुआ |बादल बारिश बन धरा से मिलने उतरी | रिमझिम बूंदों के कोमल स्पन्दन से ...धरा की कोख में फिर एक अंकुर फुटा |सुन्दर कोमल कली के जन्म के साथ ...माँ ने सुन्दर एक रचना को आकर दिया |प्यार , दुलार और संरक्षण पाकर |पौधे ने अब पेड़ का है रूप लिया |फल , फूल छाया को ... Read more |

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12:11pm 12 Mar 2012 #
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रंगों कि फुहार हैबसंती रुत कि बहार है |कोयल भी देखो गा रहीरह - रहकर राग मल्हार है |दिशाओं से गूंज रहाता - ता थैया का ताल है |हर आलम है थिरक रहाप्रभु कि लीलाओं का चमत्कार है |हिरणों कि मस्त छलांग मेंकस्तूरी पाने कि आस है |सूरज कि निश्छल किरणों में ,एक अपनेपन का अहसास है |झरनों ... Read more |

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12:54pm 6 Mar 2012 #
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शामें गम अब और कटती नहीं है तेरे बिन |बज़्म में विरानियाँ लगने लगी है तेरे बिन |तन्हाइयों में भी अक्सर तेरा साथ है रहता |ख्यालों में हरपल हलचल रहती है तेरे बिन |मिलो फुर्सत से कि हम उदास हैं तेरे बिन |नहीं कटती अब ये तन्हां सी रात तेरे बिन |तेरे अहसास में अब पहली सी बात न रही |... Read more |

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7:16pm 24 Feb 2012 #
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आ उड़ा ले चल पवनफिर मुझे उस गलियारे |माँ कहते हैं जिसेउसका वो स्पर्श दिलवाने |वो रहती है जहाँउस देश का पता बतलाने |मैं हो जाऊ फनासिर्फ उस एक झलक के बहाने |अहसास है मुझेउसके हर अलग सी छुवन का |कभी काली , कभी दुर्गाकभी सरस्वती रूप था उसका |आज भी वो मेरेख्यालों कि नगरी में है ... Read more |

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3:29am 23 Feb 2012 #
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पलपल दिल को अब करार आ रहा है |जमाना हमको हमसे मिलवा रहा है |कश पे कश प्यार का चढ़ाए जा रहे हैं |दिल का गुबार धुएं में उडाये जा रहे हैं |कश्तियाँ खोल दी सबने अपने खेमें से |तूफानों से लड़ना उनको सिखला रहे हैं |कितनी भी गमगिनियाँ हो राहे वफा में |जश्ने जिंदगी अब सब मनाये जा रहे... Read more |

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5:22am 17 Feb 2012 #
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आलीशान महलों कि चाहत मेंहम दीवारों से बातें करने लगे |मेज , कुर्सी का साथ पाकर हीखुद को धनवान समझने लगे |अपनों के साथ से थोड़े थके - थकेओरों से दिल कि बात करने लगे |ये कैसी नई चाहत का दौर चलाकि रिश्ते अब कमजोर पड़ने लगे |इतनी बैचेनियाँ क्यु भरे खुद मेंकि जीना ही मुहाल ल... Read more |

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4:11am 15 Feb 2012 #
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नदी चल रही है देखोसागर में समाने |कली खिल रही हैफिर से भवरों को रिझाने |सूरज ले रहा अंगडाईसुबह का भान करवाने |काली रात ने ओडी चादरचांदनी के बहाने |बादल भी गरजा फिरसेइंसा कि प्यास बुझाने |खेत लहलहाए हर दिल किउम्मीद जगाने |मौन धडकने कुछ संभलीमाहोल बनाने |कही चुप रहकरतो क... Read more |

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4:34am 13 Feb 2012 #
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हकीकत में सुकूने जिंदगी कैसी है होती ...भूखे बच्चे को एक निवाला खिलाकर देखो |न हो अगर दिल को फिर भी कोई अहसास ...टपकते उन आंसूंओं कोथोडा महसूस करके देखो |तन - मन में जो बस रहा हैएक मीठा सा सुकून ...अब खुदा कि रहमत कोखुद में बसाकर देखो |मंदिर मस्जिद में जाने किअब जरूरत कैसी ...बच्... Read more |

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6:25am 8 Feb 2012 #
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वीणा के सुमधुर झंकार पर |थरथराते लबों कि आवाज पर | एक गज़ल गा रही है जिंदगी | सुनों न कुछ सुना रही है जिंदगी |चाँद अपनी चांदनी समेटता हुआ |सूरज भी किरणों को बिखेरता हुआ | एक दीप जला रही है जिंदगी | एक दीप बुझा रही है जिंदगी |सो रही है शाम जग... Read more |

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4:29am 2 Feb 2012 #
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खुली आँखों से जब देखाजिंदगी भुरभुरा रेत काएक टीला सा लगी जो कभी बहुत गर्मतो कभी ठंडी हो जातीकभी लहरें बहा ले जातीतो कभी तेज आंधियांअपने संग उड़ा ले जातीउस रेगिस्तान कि तरहजहां सिर्फ धसनाऔर सिर्फ धसना हैहरपल हाथ से फिसलता हुआरिश्तों कि मजबूत डोरजिसे थामे रहतीलहरो... Read more |

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3:06am 30 Jan 2012 #
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हर बज्म में बैठे और खुदको साबित भी कर लिया |फिर भी रही शिकायत की हमको कुछ नहीं मिला |चोखट को अपनी छोड़कर अरमान दिल में ले चले |पर इतने बड़े जहां में भी कोई अपना सा न मिला |दिल थाम कश्ती को तूफान के हवाले था कर दिया |सागर के गर्भ में उतर कर भी हमें कुछ नहीं मिला |काली अँधेरी रा... Read more |

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5:28am 27 Jan 2012 #
 minakshi pant
कब हुई विमुख मैं अपने किसी कर्तव्य से |बह रही हूँ आज भी कल - कल के उसी वेग से |बच - बच के आज भी चलती पत्थरों के प्रहार से ... |कर रही हूँ सबका पोषण आज भी उसी सम्मान से |ऊँचे - ऊँचे पर्वतों कोभेंद्ती में चल रही |कठिन रास्तो को पार कर आगे ही आगे बढ़ रही |कभी चंचल , कभी कलकल कभी भयावह र... Read more |

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2:26pm 7 Jan 2012 #
 minakshi pant
जानते थे वो न रहेगा साथमेरे इस छोटे से घरोंदे मेंफिर भी उसकी खातिरदरवाजे थे खोल दिए मैंने |वो चलता रहा दूर तकअपनी ही खुमारी मेंलुटाता रहा खुद कोवक्त का रूप धर - धरकर |कर चूका था वादासफर में साथ चलने काबहुत रोया अहसासे जुदाई कोयाद करकर के |हाँ था दिल में प्यारइसलिए कुछ क... Read more |

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4:24am 31 Dec 2011 #
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