Blog: हक और बातिल |
![]() (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); ओहदे का शौक़ इंसान को हमेशा से रहा है लेकिन यह भी देखा गया है की मोमिन किसी ओहदे को पाने के लिए अपनी सलाहियतों में इज़ाफ़ा करता है और मुनाफ़िक़ उन लोगों पे तोहमत लगता है जिससे उसे यह खौफ हो की वो ओहदे का सही हक़दार है | इसलिए जब भी आप यह देखें समाज में... Read more |
![]() (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); मोमिन किसी कामयाब होने के लिए अपनी सलाहियतों में इज़ाफ़ा करता है और मुनाफ़िक़ लोगों पे तोहमत लगाता है|| ओहदे का शौक़ इंसान को हमेशा से रहा है लेकिन यह भी देखा गया है की मोमिन किसी ओहदे को पाने के लिए अपनी सलाहियतों में इज़ाफ़ा करता है और मुनाफ़िक़ उ... Read more |
![]() (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); आज के दौर की सबसे बड़ी मुश्किल यह है की गुनाहं के आम हो जाने और लोगों के गुनाहों पे राज़ी हो जाने वाले समाज को देख के लोगों के ज़हन में यह आता है की कौन आज कल हदीस और क़ुरआन पे चलता है ? जब आप इमाम (अ ) की सीरत बयान करे तो कहते हैं अरे वो इमाम थे कहाँ वो कहाँ हम ? ज... Read more |
![]() (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); मुंबई से आया मेरा दोस्त "दूर "से सलाम करो | साथ में न घूमो फिरो बोलो घर में आराम करो | कोरोना को हलके में न लीजे और ना जज़्बात से काम लीजे यह हर मुसलमान का फ़र्ज़ है की अक़्ल का इस्तेमाल करे क्यों आपकी हलकी सी लापरवाही आप की और आपके परिवार आस पदों जान पहचान वा... Read more |
![]() (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); Mout Se Qabr Tak Masoomeen HadithMAUT SE QABR TAK (HADITH)MAUT SE QABR TAK(APPROX 100 SELECTED HADITH- DO NOT MISS EVEN A SINGLE ONE)1. Rasule Khuda (saww):Tum mein se koi shakhs kabhi maut ki tamannana kare balke yu'n kahe,"Ya Allah! Mujhe oos waqt tak zinda rakh jabtak zindagi mere liye behtar hai aur mujhe ooswaqt maut de jab maut mere liye behtar ho".(Wasaail Ush Shia, v2, p127)2. Rasule Khuda (saww):se ek shakhs ne kaha ke kya wajah hai kemujhe Maut se nafrat hai?Aap ne farmaya, "Kya tere paas maal o daulathai?"Usne ne kaha, "Jee haa'n."Aap ne farmaya, "Maal o Daulat Allah ki raahmein kharch kar ke aage bhej de."Usne kaha, "Main aisa na... Read more |
![]() (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); आज जहाँ एक तरफ कोरोना की वजह से मस्जिदें इमामबाड़े और मिम्बर सूने पड़े हैं तो वहीँ दुसरी तरफ ऑनलाइन मजलिसों का सिलसिला शुरू हो चूका है | आज लोग अपने मरहुमीन के इसाल ऐ सवाब के लिए ,सोयुम चालीसवें और बरसी की मजलिसें ऑनलाइन कर रहे हैं | वही कुछ उलेमा जिनके प... Read more |
![]() (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); शादी का तरीक़ा अ. शादी का ख्याल आने पर दुआ ब. पैग़ाम देना स. मंगनी द. निकाह की तारीखों का तय करना च. महर छ. खुतबः और निकाह के सीग़े ज. रूखसती (विदाई) व दुआ झ. दावत-ए-वलीमा (विवाह भोज) शादी का बुनियादी तात्पर्य –संभोग- जवानी में क़दम रखने के ब... Read more |
![]() (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); लखनऊ । तब्लीगी जमात के समर्थन मे आये शिया धर्मगुरु मौलाना डॉ कल्बे सादिक़तब्लीगी जमात को मीडिया ने बदनाम करके मुल्क का माहौल ख़राब किया- डॉ कल्बे सादिक़तब्लीगी जमात मुल्क के वफादार है- डॉ कल्बे सादिक़ तब्लीगी जमात के लोग कभी लड़ाई झगड़े की बात नहीं करत... Read more |
![]() (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); इमाम हुसैन (अ) की शहादत: हज़रत अली असग़र की शहादत के बाद अल्लाह का एक पाक बंदा, पैग़म्बरे इस्लाम (स) का चहीता नवासा, हज़रत अली का शेर दिल बेटा, जनाबे फातिमा की गोद का पाला और हज़रत हसन के बाज़ू की ताक़त यानी हुसैन-ए-मज़लूम कर्बला के मैदान में तन्हा और अक... Read more |
![]() इस्लाम और सेक्स लेखक: डा. मोहम्मद तक़ी अली आबदीपुस्तकालय› अख़लाक़ व दुआ› अख़लाक़ी किताबेंहिंदी 2017-04-10 12:55:36यह किताब अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क की तरफ से संशोधित की गई है।.इस्लाम और जिन्सियातलेखकः डा. मोहम्मद तक़ी अली आबदीनोटः ये किताब अलहसनैन इस्लामी नेटवर्क के ज़रीऐ अपन... Read more |
![]() सूरए बक़रह की ८९ नवासीवीं आयत इस प्रकार है।और जब ईश्वर की ओर से उनके लिए क़ुरआन नामक किताब आई (जो उन निशानियों के अनुकूल थी जो उनके पास थीं) और इससे पूर्व वे काफ़िरों पर विजय की शुभ सूचना दिया करते थे, तो जब उनके पास वे वस्तुएं आ गईं जिन्हें वे पहचान चुके थे, तो उन्होंने उन... Read more |
![]() (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); 1. इमाम अली (अ.स.)जो शख्स भी कोई चीज़ अपने दिल मे छुपाने की कोशिश करता है तो उसके दिल की बात उसकी जबानी ग़लतीयो और चेहरे से मालूम हो जाती है।(नहजुल बलाग़ा, हदीस न. 25) رسول اكرم صلى الله عليه و آله مَنْ كانَ يُؤْمِنُ بِاللَّهِ وَ الْيَوْمِ الْآخِرِ فَلْيَقُلْ خَيْراً أَوْ لِيَس... Read more |
![]() (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); رسول اكرم صلى الله عليه و آله لا تَزالُ اُمَّتى بِخَيرٍ ما تَحابّوا وَ اَقامُوا الصَّلاةَ و َآتَوُا الزَكاةَ و َقَروا الضَّيفَ... ؛1. रसूले अकरम (स.अ.व.व)हमेशा मेरे उम्मती खैरो बरकत को देखेंगे जब तक की एक दूसरे से मौहब्बत करते रहे, नमाज पढ़ते रहे, जकात देते रहे और मेहमान की इज़्ज़त करत... Read more |
![]() (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); इमाम हुसैन ने आशूर के दिन शहादत के कुछ पहले खुत्बा दिया जिसमे उन्होंने कोशिश की कि यह लश्कर ऐ यज़ीद राह ऐ हक़ पे आ जाय लेकिन जब इमाम खुत्बा देते लश्कर ढोल बजने लगते जिस से ना वे सुनें खुत्बा और न लश्कर के सिपाही सुन सकें |आखिर में इमाम हसैन ने खुत्बा देना ... Read more |
![]() सभी लोगों को ईद की मुबारकबाद मैखान-ए-इंसानियत की सरखुशी, ईद इंसानी मोहब्बत का छलकता जाम है।आदमी को आदमी से प्यार करना चाहिए, ईद क्या है एकता का एक हसीं पैगाम है। .........मशहूर शाय... Read more |
![]() (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); वो खुशनसीब होता है जिसके घर वाले पति पत्नी भाई बहन उसके सुख दुःख के साथी होते हैं लेकिन कुछ बदनसीब होते हैं जिन्हे अपने ही घर में परिवार में अपनापन नहीं मिलता और वे मजबूर हो जाते हैं गैरों के साथ मिलजुल के खुश रहने पे | ऐसा घराना टूट के बिखर जाता है |वैस... Read more |
![]() (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); क्या अली (अ ) के विचारों, अक़वाल और वसीयतों को सिर्फ इमामबाड़ों और मिम्बरों तक महदूद करके हम अली वाले और मोमिन कहलायेंगे ?एस एम् मासूम आज हज़रत अली (अ ) की शहादत के १४०० साल हो गए और इन १४०० सालो से हज़रत अली के चाहने वाले उनका गम मना रहे हैं और अपने वक़्त ऐ इम... Read more |
![]() (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); मान्यता है कि कि पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब जब पहाड़ों पर चलते थे तो उनके पैरों के निशान शिला पर अंकित हो जाते थे। आज भारत में ऐसे अनगिनत क़दम ऐ रसूल के निशानात आपको मिलेंगे जिनमे से अधिकतर बादशाओं और उनसे जुड़े लोगों की क़ब्र पे लगे हुए हैं और बहुत से मस्... Read more |
![]() (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); क़ुरान मजीद सुरए शूरा में अल्लाह फरमाता है इमान वाले वो हैं जो नमाज़ क़ायम करते हैं अपने रब की पुकार का जवाब देते हैं ,नमाज़ क़ाएम करते हैं और अपने काम एक दुसरे से मश्विरे के साथ अंजाम देते हैं और इसके लिए समाज के उन लोगों से राब्ता क़ाएम रखते है जिनके पास अक़... Read more |
![]() (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); मुसलमानो के खलीफा हज़रत अली इब्ने अभी तालिब को मस्जिद ऐ कूफ़ा में सुबह की नमाज़ में एक ज़ालिम इब्ने मुल्जिम से उस वक़्त शहीद किया जब हज़रत अली सजदे में थे | यह १९ रमज़ान १४४० AH (26 jan 661 CE ) की सुबह थी जब रसूल ऐ खुदा हज़रत मुहम्मद के दामाद हज़रत अली को ज़रबत लगी और ... Read more |
![]() अयातुल्लाह सीस्तानी 1. रोज़े की नियत *1559 - इंसान के लिए रोज़े की नियत दिल से गुजारना य मसलन यह कहना के "मै कल रोज़ा रखूंगा, ज़रूरी नहीं बल्कि उसका इरादा करना काफी है की वो अल्लाह ताअला की रिज़ा के लिए अजाने सुबह से मगरिब तक कोई भी ऐसा काम नहीं करेगा जिससे रोज़ा बातिल होत... Read more |
![]() इस लेख की सनद नहजुल बलाग़ा का 31 वा पत्र है। सैयद रज़ी के कथन के अनुसार सिफ़्फ़ीन से वापसी पर हाज़रीन नाम की जगह पर आप ने यह पत्र अपने पुत्र इमाम हसन (अ) को लिखा है। हज़रत अली (अ) ने इस पत्र के ज़रिये से जो ज़ाहिर में तो इमाम हसन (अ) के लिये है, मगर वास्तव में सत्य की तलाश करने वाल... Read more |
![]() (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); इस्लाम में अल्लाह ने यह कोशिश करने को अहमियत दी है की दुनिया में जितने भी इंसान है सबको इंसानियत के रिश्ते से कम से कम एक एक रखो | झगड़ों और मतभेद से परहेज़ करो और अगर किसी का अक़ीदा आप से टकरा जाय या अलग हो तो उसे मुहब्बत से अपना अक़ीदा समझाओ लेकिन किसी को ब... Read more |
![]() (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); ये बात २० रजब सन ६० हिजरी की है जब मुआव्विया की मृत्यु हो गयी और यज़ीद ने खुद को मुसलमानो का खलीफा घोषित कर दिया ।इमाम हुसैन (अ.स ) हज़रत मुहम्मद (स.अ व ) के नवासे थे और यह कैसे संभव था कि वो यज़ीद जैसे ज़ालिम और बदकार को खलीफा मान लेते ? इमाम हुसैन ने नेकी ... Read more |
![]() (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); Allama Iqbal* ke chAnd ashaar:Muslim’e awwal, shahey mardaaN Ali( A.S.)ishq ra sarmaaya’e eimaaN Ali(A.S.)Allaama Iqbal*khaira na kar saka mujhey, jalwaey daanish’e farAngsurma hai meiri aaNkh ka, khaakey Madina o NajafAllaama Iqbal*faiz Iqbal* hai usi dAr kabandaey shaah’e la-fataa hooN maiNAllaama Iqbal*yeh hai Iqbal*, faiz e yaad e naam e Murtaza, jis senigaahey fikr mein khalwat saraaey la-makaaN tAk haiAllaama Iqbal*————–Mirza Ghalib* ke Qaseed’e ke chAnd ashaar:laal se ki hai paey zamzamaey midhat’e Shahtootiye sabzaey kohsaar ne paida minqaar( maqsad yeh ke pahaaRh par sabza bhi ugta hai,aur usmeiN Laal bhi ... Read more |
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